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Share this:     कब किसने कहा, प्रखर था स्वरकैसी थी विषम परिस्थिति, पर-निर्द्वन्द्व भाव, से उपजे आखरक्षतशीश मगर, नतशीश नहीं। संघर्षमयी...

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Share this:     चारु चंद्र की चंचल किरणें,खेल रहीं थीं जल थल में।स्वच्छ चाँदनी बिछी हुई थी,अवनि और अम्बर तल में।पुलक...